Monday, July 4, 2011

खामोश हूँ

ना दुखी हूँ
ना  नाराज  हूँ
बस मैं...
खामोश हूँ

ना किसी से शिकायत
ना किसी से रंजिश
आप जो समझे
समझे
आपकी मर्जी
मैं  तो
बस
खामोश हूँ

जब बोलता था
कभी करेला
तो कभी
मिसरी घोलता था
कुछ खुश  थे
तो
कुछ हमसे दूर दूर थे
अब पास कोई नहीं
अब बस खुद में ही
खुश हूँ
कमोश हूँ

दुनिया में
कहीं जशन है
कही मातम है
ना कोई हाथ
बधाई का है
ना आंशु पोछने  को
मैं  अपने अन्दर
ख़ामोशी समेटे हूँ
बस खुद में ही
खुश हूँ
खामोश हूँ....
 

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