Wednesday, March 28, 2012

कदमो की मंजिल- रास्ते

सपनो के पीछे भागता इंसान,
जितना मंजिल के करीब जाता है,
मंजिल उससे उतनी दूर होती जाती है.
कदम फिर भी आगे बड़ते हैं,
इंसान की मंजिल जो भी हो,
कदमो की तो एक ही मंजिल है-
रास्ते...
रास्ते जो उसे जीवन का
एहसास करते है,
रास्ते जो उसकी कड़ी परीक्षा
लेते हैं,
और एक विशवास जागते है,
जब तक इंसान है,
उसके सपने हैं,
मंजिल है,
और उस तक पहुचने को-
रास्ते हैं,
और जब तक कदम चलते हैं,
इंसान सही मायनो में जिन्दा है.

Saturday, March 3, 2012

एक कहानी लिखूं

एक कहानी लिखूं 
नानी की परियों वाली 
कहानी लिखूं 
या
नन्ही हाथो ने जो बनाये थे 
वो रेत के महल लिखूं
एक मासूम सी कहानी लिखूं

एक कहानी लिखूं 
वो गुजरा हुआ कल लिखूं 
या ठहरा हुआ पल लिखूं 
या 
उसकी पहली नजर लिखूं  
या पहले प्यार का पहला 
नजराना लिखूं
एक प्रेम कहानी लिखूं 

एक कहानी लिखूं 
वो शहर लिखूं 
अनगिनत सपने लिखूं 
या 
गाड़ियों का शोर और 
मंजिल के  पीछे भागते 
इन्सान लिखूं
आकाँक्षाओं से भरी 
एक कहानी लिखूं