Monday, July 4, 2011
खामोश हूँ
ना दुखी हूँ
ना नाराज हूँ
बस मैं...
खामोश हूँ
ना किसी से शिकायत
ना किसी से रंजिश
आप जो समझे
समझे
आपकी मर्जी
मैं तो
बस
खामोश हूँ
जब बोलता था
कभी करेला
तो कभी
मिसरी घोलता था
कुछ खुश थे
तो
कुछ हमसे दूर दूर थे
अब पास कोई नहीं
अब बस खुद में ही
खुश हूँ
कमोश हूँ
दुनिया में
कहीं जशन है
कही मातम है
ना कोई हाथ
बधाई का है
ना आंशु पोछने को
मैं अपने अन्दर
ख़ामोशी समेटे हूँ
बस खुद में ही
खुश हूँ
खामोश हूँ....
ना नाराज हूँ
बस मैं...
खामोश हूँ
ना किसी से शिकायत
ना किसी से रंजिश
आप जो समझे
समझे
आपकी मर्जी
मैं तो
बस
खामोश हूँ
जब बोलता था
कभी करेला
तो कभी
मिसरी घोलता था
कुछ खुश थे
तो
कुछ हमसे दूर दूर थे
अब पास कोई नहीं
अब बस खुद में ही
खुश हूँ
कमोश हूँ
दुनिया में
कहीं जशन है
कही मातम है
ना कोई हाथ
बधाई का है
ना आंशु पोछने को
मैं अपने अन्दर
ख़ामोशी समेटे हूँ
बस खुद में ही
खुश हूँ
खामोश हूँ....
कहानी शुकला जी के लैपटॉप की
भाग : 1
चले 4 पल्टर
लैपटॉप लेने
2 रवि
एक सुमित और
एक शुकला अल्टर
"अभि" सर भी साथ थे
पर न आ सके ऑटो के अन्दर
भाग चले ये चारो पल्टर
"अभि" सर रह गए
रोड पर सटक कर....
भाग : 2
शुकला जी चले लैपटॉप लेने
साथ में हम भी चले
रास्ते में पूछने लगें
ससुरा लैपटॉप का
configration क्या रखें
हम बोले...
configration का क्या कीजियेगा
बोले लैपटॉप तेज चलाना है
हम फिर बोले
बस...! Configration छोडिये
लैपटॉप को भी दो पेग पिला दीजियेगा
- रवि कुमार
सच्चाई स्वीकारो
हर सफाई देता इनसान,
पाकिस्तानी नहीं होता.
हर मौन व्यक्ति,
ज्ञानी नहीं होता.
मुछो को ताव देने से,
गुलामी छुपती है कहा.
सच्चाई स्वीकारना है,
तो स्वीकारो.
यूँ अंदर ही अंदर-
घुट घुट के मरने से,
कोई अमर नहीं होता.
- रवि कुमार
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