Monday, July 4, 2011

एक बरसात कई मायने

एक बरसात कई मायने,                                            
किसी का दिल रोता तो,
किसी का उमड़ उमड़ कर गता.
कुछ मस्ती करने घर से निकालें,
किसी के सर पर छत नहीं रहा.
.कोई सड़क पर फैली,
कीच कीच से परेशान,
तो कई उमंग में नाच रहे.
रस्ते पर पड़ा अधनंगा भिखारी,
तेज हवाओं को झेल रहा.
कोई कॉफ़ी का कप हाथ में थामे,
अपने खिड़की के सामने खड़ा,
ठंडी बौछार का मजा ले रहा...
                                            -रवि कुमार

खामोश हूँ

ना दुखी हूँ
ना  नाराज  हूँ
बस मैं...
खामोश हूँ

ना किसी से शिकायत
ना किसी से रंजिश
आप जो समझे
समझे
आपकी मर्जी
मैं  तो
बस
खामोश हूँ

जब बोलता था
कभी करेला
तो कभी
मिसरी घोलता था
कुछ खुश  थे
तो
कुछ हमसे दूर दूर थे
अब पास कोई नहीं
अब बस खुद में ही
खुश हूँ
कमोश हूँ

दुनिया में
कहीं जशन है
कही मातम है
ना कोई हाथ
बधाई का है
ना आंशु पोछने  को
मैं  अपने अन्दर
ख़ामोशी समेटे हूँ
बस खुद में ही
खुश हूँ
खामोश हूँ....
 

कहानी शुकला जी के लैपटॉप की

 
भाग : 1  
चले  4 पल्टर  
लैपटॉप लेने 
2 रवि  
एक सुमित  और  
एक शुकला अल्टर  
"अभि" सर भी  साथ  थे 
पर  न  आ सके ऑटो  के  अन्दर 
भाग  चले  ये  चारो  पल्टर  
"अभि"  सर  रह  गए   
रोड  पर  सटक  कर....
भाग : 2 
शुकला जी  चले  लैपटॉप लेने
साथ  में  हम  भी  चले
रास्ते  में  पूछने  लगें
ससुरा  लैपटॉप  का 
configration क्या  रखें
हम  बोले... 
configration का  क्या  कीजियेगा
बोले  लैपटॉप  तेज  चलाना  है
हम  फिर  बोले
बस...! Configration छोडिये
लैपटॉप  को  भी  दो  पेग  पिला  दीजियेगा 
                                                                 - रवि कुमार
 

सच्चाई स्वीकारो

हर सफाई देता इनसान,
पाकिस्तानी  नहीं होता.
हर मौन व्यक्ति,
ज्ञानी नहीं होता.
मुछो को ताव देने से,
गुलामी छुपती है कहा.
सच्चाई स्वीकारना है,
तो स्वीकारो.
यूँ अंदर ही अंदर-
घुट घुट के मरने से,
कोई अमर नहीं होता.  
                                - रवि कुमार