Wednesday, March 28, 2012

कदमो की मंजिल- रास्ते

सपनो के पीछे भागता इंसान,
जितना मंजिल के करीब जाता है,
मंजिल उससे उतनी दूर होती जाती है.
कदम फिर भी आगे बड़ते हैं,
इंसान की मंजिल जो भी हो,
कदमो की तो एक ही मंजिल है-
रास्ते...
रास्ते जो उसे जीवन का
एहसास करते है,
रास्ते जो उसकी कड़ी परीक्षा
लेते हैं,
और एक विशवास जागते है,
जब तक इंसान है,
उसके सपने हैं,
मंजिल है,
और उस तक पहुचने को-
रास्ते हैं,
और जब तक कदम चलते हैं,
इंसान सही मायनो में जिन्दा है.

No comments:

Post a Comment